कोविड-19 का भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव (Impact on Covid-19 on India’s Economy)
आज कल कोविड-19 (कोरोना वाइरस) वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है जिससे अब तक भारत एक करोंड़ दो लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा एक लाख अड़तालिस हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है । विगत 24 घण्टे में 285 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
कोविड-19 वैश्विक महामारी आज सम्पूर्ण विश्व के लिए चुनौती बन चुका है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका सहित सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया, विश्व तथा भारतीय शेयर बाजार में रिकार्ड मन्दी आ गयी।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण इस महामारी पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा दिनाकं 25.03.2019 को सम्पूर्ण भारत में लाक डाउन लगा दिया गया। यह लाक डाउन लगातार 67 दिन तक रहा। लोग अपने-अपने घरों में रहें, सम्पूर्ण आवागमन, व्यवसाय बन्द रहे जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था मे रिकार्ड मन्दी आयी तथा वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में विकास दर न्यूनतम स्तर -23.9 प्रतिशत हो गयी।
कोरोना वाइरस के कारण लम्बे समय तक घरों में लाक डाउन होने के तथा दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, विद्यालय, सिनेमाघर, माल, आफलाइन शापिंग, तथा अन्य तमाम आवश्यक सेवाएं बन्द होने से इन तमाम सेवाओं पर खर्च न होने के कारण भारतीयों नें अपने घरेलू खर्चों में 40 प्रतिशत तक की कटौती कर लिया।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते लम्बे समय तक भारत में लाकडाउन रहने के बावजूद भी कुछ सेक्टर ऐसे हैं जो मुनाफे में रहे। कोरोना वाइरस वैश्विक महामारी अवधि में फेस मास्क, हैण्डसेनिडाइजर तथा रोग प्रतिरोधक दवाओं आदि की भारी खरीददारी होने के कारण फार्मा कम्पनियों को काफी लाभ हुआ। कोविड-19 वैश्विक महामारी में आफलाइन शापिंग बन्द होने के कारण आम जन मानस ने जम कर आनलाइन शापिंग किया जिसके कारण भारत के ई-कामर्स सेक्टर को काफी लाभ हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर द्वारा आर्थिक मन्दी से निपटने के लिए कोरोना वैश्विक महामारी की अवधि में लगातार चौथी बार रेपो रेट दर को यथावत रखते हुए रेपो रेट दर 4 प्रतिशत रखे जाने निर्णय लिया गया है जिसके कारण भारतीय शेयर बाजारों में मन्दी का दौर कम हुआ तथा शेयर बाजार में उछाल आया तथा B.S.E. के 30 शेयरों में काफी उछाल आया और सेसेक्स45,000 के ऊपर चला गया। इसका निकट भविष्य में ही भारतीय आर्थव्यवस्था की ग्रोथ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 वैश्विक महामारी के व्यापक प्रकोप के बावजूद भी भारत में एफ0 डी0 आई0 काफी अच्छी रही तथा वर्ष 2019 में बतौर एफ0 डी0 आई0 51 अरब डालर का आगमन हुआ है जो कि गत वर्ष की एफ0 डी0 आई0 का 1 / 5 भाग अधिक है। जो भारतीय अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार परिलक्षित करता है।
वर्तमान समय में भारत सरकार ने अपने अथक प्रयासों व सूझबूझ से कोविड-19 वैश्विक महामारी को नियन्त्रित कर लिया है तथा माह जनवरी 2021 में अपने नागरिकों के टीकाकरण् की भी तैयारी कर रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकान्त दास के अनुसारः वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में जी0 डी0 पी0 ग्रोथ में 0.1 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही में 0.7 प्रतिशत वृद्धि होने की प्रबल संभावना है तथा भारत के सबसे बड़े क्षेत्र यानी ग्रामीण क्षेत्रों में मागं में निरन्तर हो रही वृध्दि के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत होने की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा माह अक्टूबर 2020 में जारी अपनी मौद्रिक समीक्षा नीति में वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जी0 डी0 पी0 ग्रोथ शून्य से 9.5 प्रतिशत नीचे अर्थात् -9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी अपनी मौद्रिक समीक्षा नीति में वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जी0 डी0 पी0 ग्रोथ शून्य से 7.5 प्रतिशत नीचे अर्थात् -7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इस प्रकार स्प्षट है कि विगत मात्र तीन महीनों में ही भारत की अर्थव्यवस्था में 2 प्रतिशत की रिकवरी होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। यदि यह रिकवरी होती है तो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए किसी संजीवनी से कम नही कहा जा सकता है।
मूडीज के अनुसार भारतः में लाक डाउन समाप्त होने के बाद उपभोक्ताओं की मांग में काफी वृध्दि होने के काऱण भारत की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है, वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था में 10.8 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल आ सकती है तथा कारपोरेट जगत को भारी मुनाफा हो सकता है।