
रक्त परिसंचरण तन्त्र (Blood Circulatory System)
रक्त परिसंचरण तन्त्र की खोज विलियम हार्वे ने किया था।
रक्त परिसंचरण तन्त्र दो प्रकार का होता हैः
- बन्द रक्त परिसंचरण तन्त्र।
- खुला रक्त परिसंचरण तन्त्र।
बन्द रक्त परिसंचरण तन्त्र में रक्त, रक्त वाहिकाओं में रक्त बहता है।
खुला रक्त परिसंचरण तन्त्र में रक्त सीधे अंगों के सम्पर्क में रहता है।
मनुष्य, पक्षियों तथा स्तनधारियों में बन्द रक्त परिसंचरण तन्त्र होता है।
कीटों में खुला रक्त परिसंचरण तन्त्र होता है।
मनुष्य में रक्त परिसंचरण तन्त्र के 03 अंग हैः हृदय, रक्त तथा रक्त वाहिनियां।
हृदय (Heart)
मनुष्य का हृदय पेशीय ऊतकों का बना होता है जो एक आवरण से घिरा होता है जिसे हृदयावरण कहते हैं। हृदयावरण में पेरिकार्डियल नामक द्रव भरा होता है जो बाहरी आघात से हृदय की रक्षा करता है। मनुष्य के हृदय में 04 प्रकेष्ठ होते हैं जिसे लम्बवत रूप से निम्नांकित दो भागों में बांटा गया हैः
- दायें भाग मेः बांया अलिन्द तथा बांया निलय।
- बांये भाग मेः दायां अलिन्द तथा दांया निलय।
अलिन्द एवं निलय के बीच कपाट होता है जो कि रूधिर को विपरीत दिशा में जाने से रोंकता है। कपाटों के बन्द होने के कारण हृदय से लब-डब की आवाज आती है।
हृदय धडकन का सामान्य से तेज होना टेकीकार्डिया तथा सामान्य से धीमा होना ब्रेडीकार्डिया कहलाता है।
हृदय का कार्य रक्त को पम्प करके शरीर के सभी भागों में पहुंचाना है जो कि अलिन्द तथा निलय के लगातार संकुचन एवं प्रांकुचन से होता है। नवजात शिशु का हृदय एक मिनट में 160 बार तथा स्वस्थ व्यक्ति का हृदय एक मिनट में 72 बार धडकता है। हृदय की धडकन को पेसमेकर नियन्त्रित करता है जिसे हृदय की हृदय भी कहा जाता है।
रक्त (Blood)
रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है जिसका निर्माण लाल अस्थिमज्जा में होता है परन्तु भ्रूणावस्था में रक्त का निर्माण प्लीहा में होता है। रक्त के तरल भाग को प्लाज्मा कहते हैं जो रक्त का 55 प्रतिशत होता है। शेष 45% रक्त कोशिकाएं होती है। मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के भार का लगभग 7% होती है। एक वयस्क मनुष्य के शरीर में लगभग 5 से 6 लीटर रक्त होता है। महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा 1/ 2 लीटर कम रक्त होता है।
प्लाज्मा में 90% पानी तथा 10% अन्य पदार्थ होता है। अन्य पदार्थों में फाइब्रिनोजेन प्रोटीन तथा नमक होता है। फाइब्रिनोजेन प्रोटीन रक्त का थक्का जमने में मदद करता है, ताप नियन्त्रित करता है तथा घाव भरने का काम करता है।
रक्त कोशिकाओं के तीन भाग होते हैः
लाल रक्त कणिका, सफेद रक्त कणिका तथा प्लेटलेटस।
लाल रक्त कणिका (RBC)
इसकी जीवन अवधि 20 से 120 दिन होती है, इनका निर्माण अस्थि मज्जा में तथा मृत्यु यकृत एवं प्लीहा (स्पलीन) में होती है। लाल रक्त कणिका का मुख्य कार्य ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का संवहन करना है। इसमें हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन पाया जाता है जिसके कारण इसका रंग लाल होता है। प्लीहा को आर0 बी0 सी0 का कब्रिस्तान कहते हैं । लाल रक्त कणिका की कमी से एनीमिया तथा पीलिया नामक रोग हो जाता है।
सफेद रक्त कणिका (WBC)
सफेद रक्त कणिका का निर्माण व मृत्यु अस्थि मज्जा में होती है जीवन अवधि 3 से 4 दिन होती है। इसका मुख्य कार्य रोगाणुओं से शरीर की रक्षा करना, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना तथा घाव भरना है।
सफेद रक्त कणिका दो प्रकार की होती हैः लिम्फोसाइटस तथा मोनोसाइट्स। लिम्फोसाइटस बीमारियों से रक्षा करती है तथा मोनोसाइटस घाव भरने का काम करती ह । सफेद रक्त कणिका की कमी के कारण एच0 आई0 वी0 एड्स तथा ब्लड कैंसर नामक रोग होता है । सफेद रक्त कणिका की कमी होने पर विटामिन ए की खुराक दी जाती है।
प्लेटलेट्स (Platelets)
इसकी संख्या रक्त में 4.5 से 6 लाख प्रति लीटर होती है। इनका जीवनकाल 3 से 5 दिन का होता है, निर्माण अस्थिमज्जा में तथा मृत्यु प्लीहा में होती है। इसका कार्य शरीर में चोट लग जाने या कट जाने पर रक्त का थक्का जमा कर रक्त के बहाव को रोकना है। इसमें हिपैरिन नामक तत्व की उपस्थिति के कारण रक्त शरीर के अन्दर नहीं जमता है।
रक्त के कार्य (Functions of blood)
- 1. रक्त का कार्य शरीर के ताप को नियन्त्रित करना तथा रोगों/संक्रमण से शरीर की रक्षा करना।
- ऑक्सीजन (O2), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), पचे हुए भोजन, उत्सर्जी पदार्थों तथा हार्मोन का संवहन करना।
- लैंगिक वरण में सहायता करना।
- घावों को भरना तथा रक्त का थक्का बनाना।
रक्त वाहिनियां (Blood vessels)
मानव शरीर में रक्त का परिसंचरण रक्त वाहिनियों द्वारा होता है जो निम्नांकित तीन प्रकार की होती हैः
- धमनी।
- शिरा।
- केशिका।
धमनी (Arteries)
यह शुध्द रक्त को हृदय से शरीर के अन्य सभी भागों में पहुंचाती है। इसमें रक्त प्रवाह तेज तथा उच्च दाब होता है। फुफ्फुस एकमात्र ऐसी धमनी है जिसमें अशुध्द रक्त बहता है।
सभी धमनियां फेफड़े से हर्ट तक शुद्ध रक्त ले जाती है परन्तु पल्मोनरी धमनी फेफड़ों तक अशुद्ध रक्त ले जाती है।
शिरा (Vein)
मानव शरीर से विभिन्न अंगों से अशुध्द रक्त को हृदय की तरफ ले जाने वाली वाहिनियों को शिरा कहते है। शिराएं शरीर के विभिन्न भागों से फेफड़ों तक अशुद्ध रक्त ले जाती है परन्तु पलमोनरी शिराएं फेफड़ों से हर्ट तक शुद्ध रक्त ले जाती है।
केशिकाएं (Capillaries)
ये वहुत पतली रक्त वाहिनियां होती है जिनमें बहुत धीरे-धीरे रक्त बहता है।
∙ रक्त के अध्ययन को क्या कहते हैं?
हिमैटेलाजी।
∙ रक्त के निर्माण की प्रकिया को क्या कहते हैं?
हीमोपोईसिस।
∙ ऊंचाई पर जाने पर लाल रक्त कणिका पर क्या प्रभाव पडता है?
लाल रक्त कणिका की संख्या बढ जाती है।
∙ लाल रक्त कणिका का मुख्य कार्य क्या है?
शरीर में आक्सीजन का परिवहन करना।
∙ मनुष्य के शरीर का सामांन्य रक्त चाप कितना होता है?
120 / 80 एम0एम0।
∙ मनुष्य एक बार में अधिकतम कितना रक्तदान कर सकता है?
कुल रक्त का 10 प्रतिशत।
∙ रक्त को कितने समय तक रक्त बैंक में रखा जा सकता है?
42 दिन तक रखा जा सकता है।
∙ रक्त को रक्त बैंक में कितने तापमान पर रखा जाता है?
44 डिग्री सेल्सियस।
∙ रक्त को जमने से रोंकने के लिए उसमें क्या मिलाया जाता है?
सोडियम नाइट्रेट, सेडियम डेक्सट्रेट तथा EDTA ।
∙ मनुष्य रक्तदान करने के कितने समय बाद पुनः रक्तदान कर सकता है?
दो सप्ताह बाद ।
∙ टेकीकार्डिया तथा ब्रेडीकार्डिया क्या है?
हृदय धडकन का सामान्य से तेज होना टेकीकार्डिया तथा सामान्य से धीमा होना ब्रेडीकार्डिया कहलाता है।
∙ हृदय का क्या कार्य है?
हृदय का कार्य रक्त को पम्प करके शरीर के सभी भागों में पहुंचाना है जो कि अलिन्द तथा निलय के लगातार संकुचन एवं प्रांकुचन से होता है।
∙ हृदय की धडकन दर कितनी है?
नवजात शिशु का हृदय एक मिनट में 160 बार तथा स्वस्थ व्यक्ति का हृदय एक मिनट में 72 बार धडकता है।
∙ हृदय की धडकन कौन नियन्त्रित करता है?
हृदय की धडकन को पेसमेकर नियन्त्रित करता है जिसे हृदय की हृदय भी कहा जाता है।
मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग हृदय है।
∙ हृदय के अध्ययन को क्या कहते हैं?कोर्डियोलाजी।
∙ हृदय का वजन कितना होता है?
महिला के हृदय के वजन 300 ग्राम तथा पुरूष के हृदय का वजन 250 ग्राम होता है।
∙ हृदय में कितने कपाट होते हैं?
चार कपाट होते हैं।
∙ हृदय में कितने प्रकोष्ठ होते हैं?
चार प्रकोष्ठ होते हैं।
छछुन्दर ( एक मिनट में 800 बार धडकता है)।
∙ रक्त परिसंचरण तन्त्र की खोज किसने किया था?
रक्त परिसंचरण तन्त्र की खोज विलियम हार्वे ने किया था।
∙ मनुष्य, पक्षियों तथा स्तनधारियों में किस प्रकार का रक्त परिसंचरण तन्त्र होता है?
मनुष्य, पक्षियों तथा स्तनधारियों में बन्द रक्त परिसंचरण तन्त्र होता है।
∙ कीटों में किस प्रकार का रक्त परिसंचरण तन्त्र होता है?
कीटों में खुला रक्त परिसंचरण तन्त्र होता है।
∙ मनुष्य में रक्त परिसंचरण तन्त्र कौन-कौन से अंग है?
मनुष्य में रक्त परिसंचरण तन्त्र के 03 अंग है – हृदय, रक्त तथा रक्त वाहिनियां।