
कोशिका विज्ञान (Cytology)
कोशिका विज्ञान के अन्तर्गत जीवद्रव्य तथा कोशिका का अध्ययन किया जाता है।
जीवद्रव्य (Organism)
यह तरल रंगहीन गाढ़ा, लसलसा, वजनयुक्त पदार्थ है। जीवन की सारी जैविक क्रियाएं इसी से संचालित होती हैं जिसके कारण इसे जीवन का भौतिक आधार कहते हैं। जीवद्रव्य में कार्बनिक तथा अकार्बनिक यौगिक का अनुपात 81 अनुपाती 19 होता है। जीव द्रव्य का लगभग 80% भाग जल होता है।
जीव द्रव्य का निर्माण निम्नलिखित 4 तत्वों से होता है-
- ऑक्सीजन 76% 2. हाइड्रोजन 10% 3. कार्बन 10.5% 4. नाइट्रोजन 2.5% ।
जीवद्रव्य को दो भागों में बांटा गया हैः
- कोशिका द्रव्य (Cyptoplasm)
- केन्द्रक द्रव्य (Nucleus)।
कोशिका द्रव्य (Cyptoplasm)
यह कोशिका के अन्दर केन्द्रक तथा कोशिका झिल्ली के बीच रहता है ।
केन्द्रक द्रव्य (Nucleus)
यह कोशिका में केन्द्रक के भीतर रहता है।
कोशिका (Cell)
कोशिका मानव जीवन की सबसे छोटी कार्यात्मक एवं संरचनात्मक इकाई है जिसकी खोज सन 1965 ई0 में अंग्रेज वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने की थी। कोशिका का सिद्धान्त सन् 1838– 39 ई0 में स्लाइडेन तथा श्वान ने किया था। सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अण्डे की तथा सबसे लम्बी कोशिका तंत्रिका तन्त्र की कोशिका होती है।
कोशिका के प्रकार (Type of Cell)
कोशिका दो प्रकार की होती हैः
- प्रोकैरियोटिक कोशिका।
- यूकैरियोटिक कोशिका।
प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cells)
इसमें हिस्टोन प्रोटीन न होने के कारण क्रोमेटिन नहीं बन पाता। गुणसूत्र के रूप में केवल डी0एन0ए0 ही रहता है। इसमें केन्द्रक, माइटोकांड्रिया तथा लिंग प्रजनन नहीं पाया जाता। कोशिका भित्ति, प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट की बनी होती है। केन्द्रक झिल्ली नहीं पाई जाती। डी0एन0ए0 एकल सूत्र के रूप में पाया जाता है। श्वसन प्लाज्मा झिल्ली द्वारा होता है। ऐसी कोशिकाएं जीवाणुओं तथा नील हरित शैवालों में पाई जाती हैं।
यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cells)
इसमें माइटोकांड्रिया, केन्द्रक, केन्द्रक झिल्ली, क्रोमैटिन तथा हिस्टोन प्रोटीन पाई जाती है । कोशिका भित्ति सेलुलोज की बनी होती है। डी0 एन0 ए0 पूर्ण विकसित तथा दोहरे सूत्र के रूप में पाया जाता है । श्वसन माइटोकाण्ड्रिया द्वारा होता है। लिंग प्रजनन पाया जाता है।
कोशिका के मुख्य भाग (Main part of cell)
कोशिका के निम्नलिखित भाग हैः
1 कोशिका भित्ति 2. कोशिका झिल्ली 3. तारककाय 4. अन्त: प्रद्रव्य जालिका 5. राइबोसोम 6. माइटोकांड्रिया 7. गाल्जीकाय 8. लाइसोसोम 9. लवक 10. रसधानी 11. केन्द्रक ।
- कोशिका भित्ति (Cell wall) यह सैलूलोज की बनी होती है तथा मात्र पादप कोशिका में पाई जाती है।
- कोशिका झिल्ली (Cell membrane) यह एक अर्ध पारगम्य झिल्ली होती है जिसका मुख्य कार्य कोशिका के अन्दर जाने वाले तथा कोशिका के अन्दर से बाहर आने वाले पदार्थों का निर्धारण करना है।
- तारककाय (Star Work) इसकी खोज बोबेरी ने किया था तथा यह केवल जन्तु कोशिका में पाया जाता है। इसके अन्दर पाया जाने वाला सेंट्रियोल समसूत्री विभाजन में ध्रुव का निर्माण करता है। यह पादप कोशिका में नहीं पाया जाता है।
- अन्त: प्रद्रव्य जालिका (Endoplasmic reticlum) इसमें किनारे किनारे कुछ भागों पर छोटी-छोटी कणिकाएं होती हैं जिसे राइबोसोम कहा जाता है। अन्त: प्रद्रव्य जालिका का मुख्य कार्य उन सभी प्रोटीन तथा वसाओं का संचरण करना है जो कि विभिन्न झिल्लियों जैसे- कोशिका झिल्ली, केन्द्रक झिल्ली आदि का निर्माण करना है।
- राइबोसोम (Ribosome) यह राइबोन्यूक्लिक एसिड नामक अम्ल तथा प्रोटीन की बनी होती है। यह प्रोटीन का उत्पादन स्थल है जिसके कारण इसे प्रोटीन की फैक्ट्री कहा जाता है।
- माइटोकाण्ड्रिया (Mitrokandriya) इसकी खोज सन 1886 ई0 में अल्टमैंन ने किया था। समस्त ऊर्जावान कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण माइट्रोकांड्रिया में ही होता है जिसके कारण इसमें काफी ऊर्जा प्राप्त होती है इसलिए माइट्रोकाण्ड्रिया को ऊर्जा घर या कोशिका का इंजन या कोशिका का शक्ति केन्द्र भी कहा जाता है।
- गाल्जीकाय (Golkoykay) इसकी खोज इटली की प्रसिद्ध वैज्ञानिक कैमिलो गाल्जी ने किया था। इसे कोशिका के अणुओं का यातायात प्रबंधक कहते हैं । यह कोशिका भित्ति, लाइसोसोम तथा ग्लाइकोप्रोटीन का निर्माण करता है।
- लाइसोसोम (Lysosome) इसकी खोज प्रसिद्ध वैज्ञानिक डी- डूबे ने किया था। इसमें 24 प्रकार के एन्जाइम पाए जाते हैं। इसका मुख्य कार्य बाहरी पदार्थों का भक्षण व पाचन करना है। इसे आत्मघाती थैली कहा जाता है।
- लवक (Lover) यह जन्तु कोशिका में नहीं पाया जाता, मात्र पादप कोशिका में ही पाया जाता है।
लवक तीन प्रकार के होते हैः 1. हरित लवक 2. अवर्णी लवक 3. वर्णी लवक ।
हरित लवक (Green Lover)
इसमें हरे रंग का पर्ण हरित नामक पदार्थ पाया जाता है जिसकी सहायता से यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाता है जिसके कारण इसे पादप कोशिका का रसोई घर कहा जाता है।
अवर्णी लवक (Achromatic love)
यह रंगहीन लवक है तथा पौधे के उन भागों में पाया जाता है जहां पर प्रकाश नहीं पहुंचता। यह पौधे की जड़ों तथा भूमिगत तने में पाया जाता है जिनमें भोज्य पदार्थों का संग्रह करता है।
वर्णी लवक (Verni love)
यह पौधे के रंगीन भागों जैसे- फूल, बीज, फलाभित्ति में पाया जाता है तथा प्रायः लाल, नारंगी व पीले रंग का होता है। टमाटर में लाइकोपिन, चुकन्दर में विटानीन तथा गाजर में कैरोटीन नामक वर्णी लवक पाया जाता है।
- रसधानी (Relief) यह एक निर्जीव रचना है जो जन्तु तथा पादप दोनों ही कोशिकाओं में पाई जाती है।
- केन्द्रक (Nucleus) केन्द्रक मानव कोशिका का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अंग है जो प्रबन्धक की तरह कार्य करता है इसलिए इसे कोशिका का प्रबन्धक भी कहा जाता है। यह केन्द्रक द्रव्य में धागेदार पदार्थ के जाल के रूप में बिखरा होता है इसे क्रोमैटिन भी कहते हैं। यह प्रोटीन तथा डीएनए का बना होता है। क्रोमैटिन कोशिका विभाजन के समय सिकुड़ कर अनेक छोटे और मोटे धागे के रूप में में संगठित हो जाते हैं इन धागों को गुणसूत्र (क्रोमोसोम) कहते हैं। बन्दर में 21 जोड़े, मनुष्य में 23 जोडे, तथा चिम्पांजी में 24 जोड़े गुणसूत्र पाए जाते हैं। गुणसूत्र पर बहुत से जीन होते हैं जो एक पीढ़ी के लक्षण (अनुवांशिक गुण) दूसरी पीढ़ी में हस्तान्तरित करते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र में जेली के समान एक गाढा भाग होता है जिसे मैट्रिक्स कहते हैं।
क्रोमैटिन के अलावा केन्द्रक में एक सघन गोल रचनाएं होती हैं जिसे केन्द्रिका कहते हैं जिसमें राइबोसोम के लिए RNA (Ribonuclic Acid) का संश्लेषण होता है।
DNA पालीन्यूक्लियोटाइड होते हैं। डीएनए का मुख्य कार्य सभी अनुवांशिकी क्रियाओं का संचालन तथा प्रोटीन संश्लेषण का नियंत्रण करना है, जिसकी इकाई जीन है। डी0 एन0 ए0 से ही आर0 एन0 ए0 का संश्लेषण होता है।
आर0 एन0 ए0 के प्रकार (Type of R.N.A.)
- r-RNA
- t-RNA
- m- RNA
- r-RNA– राइबोसोम पर लगे रहते हैं तथा प्रोटीन संश्लेषण में मद करते हैं।
- t-RNA– प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया में विभिन्न प्रकार के अमीनो अम्ल राइबोसोम पर लाते हैं जहां पर प्रोटीन का निर्माण होता है।
- m- RN – केन्द्र के बाहर अमीनो अम्ल को चुनने में मदद करता है।
डी0 एन0 ए0 एवं आर0 एन0 ए0 में अन्तर (Difference in D.N.A. and R.N.A.)
- डी0 एन0 ए0 मुख्यतया केन्द्रक में पाया जाता है जबकि आर0 एन0 ए0 केन्द्रक तथा कोशिका द्रव्य दोनों में पाया जाता है।
- डी0 एन0 ए0 में डीऑक्सिराइबोज शर्करा होती है जबकि आर0 एन0 ए0 में राइबोज शर्करा होती है।
- डी0 एन0 ए0 में ग्वानिन, एडिनीन,थायमिन तथा साइटोसिन होते हैं जबकि आर0 एन0 ए0 में थायमिन की जगह यूरेसिल होता है।
ट्रान्सलेशन (Translation)
प्रोटीन बनने की अंतिम क्रिया को ट्रान्सलेशन कहते हैं।
स्तनधारियों की लाल रक्त कण में लाइसोसोम तथा अन्त: प्रद्रव्य जालिका नहीं पाया जाता है।
केन्द्रक के अलावा माइटोकाण्ड्रिया तथा हरित लवक में भी डी0एन0ए0 पाया जाता है।
पादप कोशिका तथा जन्तु कोशिका में अन्तर (Difference between plant cell and animal cell)
- पादप कोशिका लगभग आयताकार होती है जबकि जन्तु कोशिका लगभग वृत्ताकार होती है।
- पादप कोशिका में कोशिका भित्ति पाई जाती है जबकि जन्तु कोशिका में कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती।
- पादप कोशिका में तारक काय नहीं पाया जाता परन्तु जन्तु कोशिका में तारक काय पाया जाता है।
- पादप कोशिका में लवक पाई जाती है परन्तु जन्तु कोशिका में लवक नहीं पाई जाती।
- पादप कोशिका में रिक्तिका बड़ी होती है परन्तु जन्तु कोशिका में रिक्तिका छोटी होती है।
कोशिका विभाजन के प्रकार (Tyoes of cell devision)
कोशिका विभाजन मुख्यतः तीन प्रकार से होता हैः
- असूत्री विभाजन।
- समसूत्री विभाजन।
- अर्धसूत्री विभाजन।
असूत्री विभाजन (Incontinence division)
इस प्रकार का कोशिका विभाजन अमीबा, पैरामीशियम, जीवाणु, यीस्ट, नील हरित शैवाल, पैरामीशियम एवं प्रोटोजोआ में होता है ।
समसूत्री विभाजन (Mitosis)
इस प्रकार का कोशिका विभाजन जन्तुओं में कायिक कोशिका में होता है जिसे माइटोसिस कहा जाता है।
समसूत्री विभाजन पांच चरणों में होता हैः
- अन्तरावस्था।
- पूर्वावस्था।
- मध्यावस्था।
- पश्चमावस्था।
- अन्त्यावस्था।
प्रत्येक जनक कोशिका से दो सन्तति कोशिका का निर्माण होता है। प्रत्येक सन्तति कोशिका में गुणसूत्र की संख्या जनक कोशिका के गुणसूत्र के बराबर होती है। पश्चावस्था विभाजन की अवधि सबसे छोटी होती है जो मात्र 2 से 3 मिनट में समाप्त हो जाती है।
अर्धसूत्री विभाजन (meiosis)
यह विभाजन जनन कोशिकाओं में होता है। अर्धसूत्री विभाजन की खोज सर्वप्रथम बीजमैंन की थी जिसका विस्तृत अध्ययन वर्ष 1888 ई0 में स्ट्रासबर्गर ने किया। इस विभाजन में एक जनन कोशिका से चार सन्तति कोशिका का निर्माण होता है।
यह विभाजन दो चरणों में होता हैः
- अर्धसूत्री -।
- अर्धसूत्री -।।
अर्धसूत्री–विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है जिसके कारण इसे न्यूनकारी विभाजन कहते हैं जो चार अवस्थाओं में होती हैः
- प्रोफेज (Prophase)
- मेटाफेज (Metaphase)
- एनाफेज (Anaphase)
- टेलोफेज (Telophase)।
प्रोफेज सबसे लम्बी अवस्था होती है जो 5 अवस्थाओं में पूरी होती हैः
- लेप्टोटीन (Leptoteen)
- जाइगोटीन (Zycotein)
- पैकीटीन (Packytein)
- डिप्लोटीन (Diplotein)
- डायकिनेसिस (Dyketein)।
समसूत्री विभाजन तथा अर्धसूत्री विभाजन में अन्तरः(Difference in mitosis and meiosis)
- समसूत्री विभाजन में प्रोफेज अवस्था सबसे छोटी होती है जबकि अर्धसूत्री विभाजन में प्रोफेज अवस्था लम्बी होती है।
- समसूत्री विभाजन में कम समय लगता है जबकि अर्धसूत्री विभाजन में अधिक समय लगता है।
- समसूत्री विभाजन कायिक कोशिकाओं में होता है जबकि अर्धसूत्री विभाजन जनन कोशिकाओं में होता है।
- समसूत्री विभाजन में सन्तति कोशिका में जनक कोशिका जैसे गुणसूत्र होने के कारण अनुवांशिक विविधता नहीं होती जबकि अर्धसूत्री विभाजन में सन्तति कोशिकाओं में जनक कोशिका से भिन्न गुणसूत्र होने के कारण आनुवांशिक विविधता होती है।
- समसूत्री विभाजन में एक कोशिका से 02 कोशिकाएं बनती हैं जबकि अर्धसूत्री विभाजन में एक कोशिका से 04 कोशिकाएं बनती हैं।
. जीवद्रव्य क्या है?
जीवद्रव्य एक तरल रंगहीन गाढ़ा, लसलसा, वजनयुक्त पदार्थ है।
. जीवन की सारी जैविक क्रियाएं किससे संचालित होती हैं?
जीवद्रव्य से।
. जीवन का भौतिक आधार किसे कहते हैं?
जीवद्रव्य को।
. जीवद्रव्य में कार्बनिक तथा अकार्बनिक यौगिक का अनुपात कितना होता है?
81 : 19 होता है।
. जीव द्रव्य का कितने % भाग जल होता है?
लगभग 80% भाग जल है ।
. जीव द्रव्य का निर्माण किन तत्वों से होता है?
आक्सीजन, हाइड्रोजन, कार्बन तथा नाइट्रोजन से।
. जीवद्रव्य में कितने प्रतिशत आक्सीजन पाया जाता है?
76% ।
. जीवद्रव्य को कितने भागों में बांटा गया है?
दो भागों कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक द्रव्य में।
. कोशिका की खोज कब तथा किसने किया था?
1965 ई0 में अंग्रेज वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने।
. मानव जीवन की सबसे छोटी कार्यात्मक एवं संरचनात्मक इकाई कौन है?
कोशिका।
. कोशिका का सिद्धान्त कब तथा किसने दिया था?
सन् 1838- 39 ई0 में स्लाइडेन तथा श्वान ने ।
. किस जानवर की कोशिका सबसे बड़ी होती है?
शुतुरमुर्ग के अण्डे की।
. सबसे लम्बी कोशिका किसकी होती है?
तंत्रिका तन्त्र की।
. कोशिका कितने प्रकार की होती है?
कोशिका दो प्रकार की होती हैः प्रोकैरियोटिक कोशिका तथा यूकैरियोटिक कोशिका।
. वर्गीकरण की आधारभूत इकाई क्या है?
जाति।
. कोशिका विभाजन कितने प्रकार से होता है?
तीन प्रकार से होता हैः असूत्री विभाजन, समसूत्री विभाजन तथाअर्धसूत्री विभाजन।
. कोशिका भित्ति किसकी बनी होती है?
सैलूलोज की बनी होती है।
. तारककाय की खोज किसने किया था?
बोबेरी ने।
. “प्रोटीन की फैक्ट्री” किसे कहा जाता है?
राइबोसोम।
. माइटोकाण्ड्रिया की खोज किसने किया था?
सन 1886 ई0 में अल्टमैंन ने किया था।
. समस्त ऊर्जावान कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण किस में होता है?
माइट्रोकांड्रिया में।
. “ऊर्जा घर” या “कोशिका का इंजन” या “कोशिका का शक्ति केन्द्र” किसे कहा जाता है?
माइट्रोकाण्ड्रिया।
. गाल्जीकाय की खोज किसने किया था?
इटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक कैमिलो गाल्जी ने।
. कोशिका के अणुओं का “यातायात प्रबन्धक” किसे कहते हैं?
गाल्जीकाय।
. लाइसोसोम की खोज किसने किया था?
प्रसिद्ध वैज्ञानिक डी- डूबे ने किया था।
. कोशिका की “आत्मघाती थैली” कहा जाता है?
लाइसोसोम को।
. लवक कितने प्रकार के होते है?
तीन प्रकार के होते हैः 1. हरित लवक 2. अवर्णी लवक 3. वर्णी लवक।
. “पादप कोशिका का रसोई घर” किसे कहा जाता है?
हरित लवक को।
. हरित लवक में क्या पाया जाता है?
पर्ण हरित नामक पदार्थ।
. पौधे किसकी सहायता से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं?
पर्ण हरित नामक पदार्थ या हरित लवक।
. पौधे किस क्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं?
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा।
. “ट्रान्सलेशन क्या” है?
प्रोटीन बनने की अंतिम क्रिया को ट्रान्सलेशन कहते हैं।
. अर्धसूत्री विभाजन में सबसे लम्बी अवस्था किसकी होती है?
प्रोफेज की।
. समसूत्री विभाजन में सबसे छोटी अवस्था किसकी होती है?
प्रोफेज की।
. “न्यूनकारी विभाजन” किसे कहते हैं?
अर्ध्दसूत्री विभाजन को।