
मनुष्य का नेत्र वह इन्द्रिय है जिसके माध्यम से मनुष्य देखता है तथा रूप रंग का दर्शन होता है । मनुष्य का नेत्र लगभग एक करोंड रंगों में अन्तर कर सकता है । मानव नेत्र की स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी0 होती है ।
मानव नेत्र बाहर से एक कठोर व अपारदर्शी श्वेत झिल्ली से ढंका रहता है जिसे कार्निया कहते हैं । नेत्रदान के समय कार्निया का ही दान किया जाता है ।
कार्निया के पीछे एक रंगीन अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है जिसे आइरिश कहते हैं ।
आइरिश का कार्य प्रकाश की मात्रा को नियन्त्रित करना होता है जिसके कारण वह अधिक प्रकाश में सिकुड कर छोटा हो जाता है एवं अंधेरा तथा कम प्रकाश में फैल जाता है ।
कार्निया तथा लेंस के बीच में एक नमकीन पारदर्शी द्रव भरा रहता है जिसे नेत्रोद या जलीय द्रव कहते हैं जिसका अपवर्तनांक 1.336 होता है ।
रक्त पटल के नीचे तथा आंख के भीतर एक पारदर्शी झिल्ली होती है जिसे दृष्टि पटल या रेटिना कहते हैं । रेटिना पर वस्तु का प्रतिबिम्ब उल्टा तथा वास्तविक बनता है ।
किसी वस्तु को स्पष्ट देखनें के लिए प्रकाश किरणों का रेटिना पर केन्द्रित होना आवश्यक है । यदि वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के आगे या पीछे केन्द्रित होता है तो वस्तु हमे नही दिखायी देती है ।
मानव नेत्र में 04 प्रकार के दृष्टिदोष होते हैं– निकट दृष्टिदोष, दूर दृष्टिदोष, जरा दृष्टिदोष तथा अबिन्दुकता या दृष्टि वैषम्य ।
निकट दृष्टिदोषः
इस दोष में निकट की वस्तु स्पष्ट दिखायी देती है परन्तु दूर की वस्तु स्पष्ट नही दिखायी देती है । इस दोष में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के आगे बनता है ।
कारणः
- लेन्स की गोलाई बढ जाती है ।
- लेन्स की फोकस दूरी घट जाती है ।
- लेन्स की क्षमता बढ जाती है ।
उपरोक्त कारणों से वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के आगे बनता है ।
निवारणः
निकट दृष्टिदोष के निवारण के लिए अवतल लेन्स के चशमें का उपयोग किया जाता है ।
दूर दृष्टिदोषः
इस दोष में दूर की वस्तु स्पष्ट दिखायी देती है परन्तु निकट की वस्तु स्पष्ट नही दिखायी देती है । इस दोष में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के पीछे बनता है ।
कारणः
- लेन्स की गोलाई कम जाती है ।
- लेन्स की फोकस दूरी बढ जाती है ।
- लेन्स की क्षमता घट जाती है ।
निवारणः
दूर दृष्टिदोष के निवारण के लिए उत्तल लेन्स के चशमें का उपयोग किया जाता है ।
जरा दृष्टिदोषः
वृध्दावस्था के कारण कुछ व्यक्तियों में निकट तथा दूर दृष्टि दोष दोनों ही एक साथ होते हैं ।
निवारणः
जरा दृष्टिदोष के निवारण के लिए द्विफोकसीय लेन्स ( उभयात्तल लेन्स) का उपयोग किया जाता है जिसका एक भाग अवतल लेन्स की तरह तथा दूसरा भाग उत्तल लेन्स की तरह कार्य करता है ।
अबिन्दुकता या दृष्टि वैषम्यः
इस दोष में नेत्र क्षैतिज दिशा में तो देख पाता है परन्तु ऊर्ध्व दिशा में नही देख पाता है ।
निवारणः
इस दोष के निवारण के लिए बेलनाकार लेन्स का प्रयोग किया जाता है ।
मनुष्य का नेत्र वह इन्द्रिय है जिसके माध्यम से मनुष्य देखता है तथा रूप रंग का दर्शन होता है।
मानव नेत्र की स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी0 होती है ।
. कार्निया क्या है?
मानव नेत्र बाहर से एक कठोर व अपारदर्शी श्वेत झिल्ली से ढंका रहता है जिसे कार्निया कहते हैं।
. नेत्रदान के समय नेत्र के किस अंग का दान किया जाता है?
नेत्रदान के समय मनुष्य कार्निया का ही दान किया जाता है।
. आइरिश क्या है?
कार्निया के पीछे एक रंगीन अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है जिसे आइरिश कहते हैं।
मानव नेत्र में प्रकाश की मात्रा को आइरिश नियन्त्रित करता है जिसके कारण वह अधिक प्रकाश में सिकुड कर छोटा हो जाता है एवं अंधेरा तथा कम प्रकाश में फैल जाता है ।
. दृष्टि पटल या रेटिना क्या है?
रक्त पटल के नीचे तथा आंख के भीतर एक पारदर्शी झिल्ली होती है जिसे दृष्टि पटल या रेटिना कहते हैं।
. रेटिना पर वस्तु का प्रतिबिम्ब कैसा बनता है?
प्रतिबिम्ब उल्टा तथा वास्तविक बनता है।
. किसी वस्तु को स्पष्ट देखनें के लिए प्रकाश किरणों का किस पर केन्द्रित होना आव्श्यक है?
रेटिना पर केन्द्रित होना आवश्यक है। यदि वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के आगे या पीछे केन्द्रित होता है तो वस्तु हमे नही दिखायी देती है ।
04 प्रकार के।
. निकट दृष्टि दोष क्या है?
निकट दृष्टि दोष में निकट की वस्तु स्पष्ट दिखायी देती है परन्तु दूर की वस्तु स्पष्ट नही दिखायी देती है।
. निकट दृष्टि दोष में वस्तु का प्रतिबिम्ब कहां पर बनता है?
इस दोष में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के आगे बनता है ।
. दूर दृष्टिदोष के निवारण के लिए किस लेन्स के चशमें का उपयोग किया जाता है?
उत्तल लेन्स के चशमें का उपयोग किया जाता है।
. दूर दृष्टिदोष क्या है?
इस दोष में दूर की वस्तु स्पष्ट दिखायी देती है परन्तु निकट की वस्तु स्पष्ट नही दिखायी देती है।
. दूर दृष्टिदोष में वस्तु का प्रतिबिम्ब कहां पर बनता है?
वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना के पीछे बनता है ।
. निकट दृष्टिदोष के निवारण के लिए किस प्रकार के लेन्स के चश्में का उपयोग किया जाता है?
अवतल लेन्स के चश्में का उपयोग किया जाता है ।
. जरा दृष्टिदोष के निवारण के लिए किस लेन्स का उपयोग किया जाता है?
जरा दृष्टिदोष के निवारण के लिए द्विफोकसीय लेन्स (उभयात्तल लेन्स) का उपयोग किया जाता है।