
तन्त्रिका तन्त्र (NURVOUS SYSTEM)
तन्त्रिका तन्त्र क्या है?
वह तन्त्र जिसके द्वारा मनुष्य के शरीर के विभिन्न अंगों का नियन्त्रण तथा अंगों एवं वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है, उसे तन्त्रिका तन्त्र कहते है। तन्त्रिका तन्त्र मनुष्य के अंगो तथा तन्त्रों के मध्य समपर्क स्थापित करता है एवं इनकी क्रियाओं में तालमेल बनाये रखता है। तन्त्रिका तन्त्र के अन्तर्गत मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा गुच्छिका आदि आते हैं।
तन्त्रिका तन्त्र कितने प्रकार का होता है?
तन्त्रिका तन्त्र 03 प्रकार के होते हैः
1-केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central Nurvous System)
2-स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Automatic Nurvous System)
3-परिधीय तन्त्रिका तन्त्र (Peripheral Nurvous System) ।
केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central Nurvous System) क्या है?
मानव शरीर में बहुत सी तन्त्रिकोशिकाएं मिलकर तन्त्रिका तन्त्र बनाती हैं। इन्हीं तन्त्रिकोशिकाएं को ही तन्त्रिकातन्त्र कहते है। केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र सम्पूर्ण शरीर तथा स्वयं तन्त्रिका तन्त्र पर नियन्त्रण करती है।
मस्तिष्क (Brain) क्या है?
मानव मस्तिष्क अस्थियों के खोल क्रेनियम के अन्दर स्थित होता है जिसका वजन करीब 1400 ग्राम होता है। यह मानव शरीर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तन्त्रिका तन्त्र है जो संवेदी तन्त्रिकाओं के माध्यम से श्रवण, दृष्टि, घ्रांण, स्वाद तथा स्पर्श आदि संवेदनाएं ग्रहण करता है और प्रेरक तन्त्रिकाओं के माध्यम से मांसपेशियों एवं अन्य अंगों को विभिन्न आवश्यक कार्यों को करने का आदेश देता है।
मानव मस्तिष्क के 03 भाग होते हैं- प्रमस्तिष्क (Cerebrum), अनुमस्तिष्क (Cerbellum) तथा अन्तस्था (Medula)।
प्रमस्तिष्क(Cerebrum)
यह मस्तिष्क का अग्रभाग है जिसका बाह्य भाग धूसर तथा आन्तरिक भाग श्वेत पदार्थों से बना होता है जिसे थैलमस एवं हाइपोथैलमस कहते हैं।
थैलमस ठण्डा, गर्म तथा दर्द की पहचान कराता है।
हाइपोथैलमस भूंख, प्यास, क्रोध, खुशी एवं अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित होने वाले हार्मोन आदि को नियन्त्रित करता है।
प्रमस्तिष्क बुध्दि, विवेक, संवेदनाओं एवं ऐच्छिक क्रियाओं ( दृष्टि, स्पर्श, गन्ध, स्वाद, श्रवण आदि) पर नियन्त्रण रखता है।
अनुमस्तिष्क (Cerbellum)
यह मस्तिष्क का पिछला भाग होता है जो कि मांसपेशीय तन्त्र, शारीरिक सन्तुलन तथा मनुष्य में आदत बनाने वाली क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।
मस्तिष्क का यह भाग शरीर का सन्तुलन बनाये रखता है। दौडने, घूमने, टहलने, खडे होने, नृत्य करने, साइकिल चलाने आदि के दौरान शरीर का सन्तुलन बनाये रखता है।
अन्तस्था (Medula)
यह मेरुरज्जु के सिरे पर एक छोटी सी गांठ के आकार की होती है जो अनैच्छिक तथा स्वचालित क्रियाओं को नियन्त्रित करती है।
यह अनैच्छिक एवं स्वचालित क्रियाओं जैसे– फेफडे के कार्य, हृदय के कार्य, रक्त प्रणाली, पाचन तन्त्र, हृदय, उतसर्जन के कार्यों, श्वास दर, रक्त दाब, शरीर ताप इत्यादि पर नियन्त्रण रखता है।
मेरुरज्जु (Spinal Cord) क्या है?
यह एक लम्बी, पतली एवं वेलनाकार संरचना है जो कि मस्तिष्क से पहली कटि कशेरुक के निचले किनारे तक फैली होती है।
मेरुरज्जु तन्त्रिका तन्त्र का एक समूह है जिससे मेरु तन्त्रिकाएं मिलकर सम्पूर्ण शरीर मे फैली होती हैं। ये तन्त्रिकाएं मेरुरज्जु से दो मूलों के द्वारा जुडी रहती हैं जिसमें से एक को संवेदी तन्त्रिका मूल तथा दूसरी को प्रेरक तन्त्रिका मूल कहते हैं।
संवेदी तन्त्रिकाएं मानव शरीर मे संवेदना लाने तथा तन्त्रिका मांस पेशियों व अन्य अवयवों को मस्तिष्क का आदेश पहुंचाने का कार्य करती हैं। इस प्रकार मेरुरज्जु का मुख्य कार्य संवेदी अंगों से संवेदना (सन्देश) को मस्तिष्क के अभीष्ट अवयवों तक पहुंचाना तथा मस्तिष्क के आदेश को कार्यस्थल तक पहुंचाना होता है।
स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Automatic Nurvous System) क्या है?
वह तन्त्रिका तन्त्र जिसके माध्यम से हृदय, रक्त वाहिनियों, ग्रन्थियों आदि की क्रियाएं नियन्त्रित होती हैं, स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Automatic Nurvous System) कहलाती हैं।
स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Automatic Nurvous System) के दो भाग होते हैं – अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र तथा सहानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र या परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र । ये दोनो तन्त्रिका तन्त्र एक दूसरे के विपरीत कार्य करती हैं परन्तु दोनों के मध्य तालमेल बना रहता है।
अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र क्या है?
इसके अन्तर्गत मेरुरज्जु के पार्श्व श्रृंग, अनुकम्पीय धड तथा अनुकम्पीय कोशिकाएं आती हैं। ये तन्त्रिकाएं पुतलियों को विस्फारित करती हैं। लार एवं अश्रुग्रन्थियों के स्राव को कम करती हैं । रक्त का थक्का बनाने मे मदद करती हैं तथा लघु धमनियों व शिराओं को संकुचित करती हैं । आमाशयिक ग्रन्थियों के स्राव को कम करती हैं। हृदय धमानियों को विस्फारित करती हैं । इसका मुख्य कार्य रक्तचाप तथा हृदय स्पंदन को बढाती हैं।
सहानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र या परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र क्या है?
इसके अन्तर्गत सहानुकम्पी नाभिक गुच्छिका तथा तन्त्रिका तन्तु आते हैं । ये तन्त्रिकाएं पुतलियों को संकुचित करती हैं । लार एवं अश्रुग्रन्थियों के स्राव तथा हृदय स्पंदन को कम करती हैं । आमाशयिक ग्रन्थियों के स्राव को उत्तेजित तथा रक्त वाहिकाओं विस्फारित करती हैं । मूत्राशय की पेशियों में संकुचन उत्पन्न करती हैं ।
परिधीय तन्त्रिका तन्त्र (Peripheral Nurvous System) क्या है?
यह मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु से निकलने वाली तन्त्रिकाओं को बना होता है । इन्हें कपालीय तन्त्रिकाएं तथा मेरूरज्जु तन्त्रिकाएं भी कहते हैं।
मनुष्य मे 12 जोडी कपाल तथा 31 जोडी मेरुरज्जु तन्त्रिकाएं पायीं जाती हैं।
प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action) क्या है?
किसी उद्दीपन के प्रत्युत्तर में किसी अंग में केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र की जो प्रतिक्रिया होती है उसे प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। उद्दीपन के परिणामस्वस्वरूप प्रभावित अंग में उत्तेजना होती है। संवेदी तन्त्रिका इस उत्तेजना को केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र को भेजती है तथा केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र प्रेरक तन्त्रिका तन्त्र के माध्यम से उत्तेजित अंग को आवश्यक कार्य करने का आदेश देता है।
उद्दीपन के प्रति प्रतिक्रियाएः
पैर में कांटा चुभ जाने पर झटके से पैर अलग खिंच जाना, हाथ में सुई चुभ जाने पर झटके से हाथ अलग खिंच जाना, आंख के सामने अचानक किसी वस्तु के आ जाने पर आंख की पलकें बन्द हो जाना, आंख पर अचानक तेज प्रकाश पडने पर आंख की पुतलियों का संकुचित हो जाना आदि।
प्रतिवर्ती क्रियाओं पर नियन्त्रण मेरुरज्जु करता है। इसमें दो प्रकार की तन्त्रिकाए होती हैं- आरोही तन्त्रिका तथा अवरोहीतन्त्रिका।
आरोही तन्त्रिका संवेदी ऊतक होती हैं जो कि उत्तेजित अवयव की संवेदना को केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र तक पहुंचाती है।
अवरोही तन्त्रिका प्रेरक तन्त्रिका होती है जो केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र की प्रतिक्रिया को उत्तेजित अंग तक पहुंचाती है।
. .तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई क्या है?
तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई तन्त्रिका कोशिका है।
. मनुष्य को वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी किसके माध्यम से होती है?
मनुष्य को वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी तन्त्रिका तन्त्र के माध्यम से होती है।
. मनुष्य में कैसा तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है?
मनुष्य में सुविकसित तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है।
. मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा गुच्छिका क्या है?
केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र।
करीब 1400 ग्राम।
मस्तिष्क।
. मस्तिष्क किसके माध्यम से श्रवण, दृष्टि, घ्रांण, स्वाद तथा स्पर्श आदि संवेदनाएं ग्रहण करता है?
संवेदी तन्त्रिकाओं के माध्यम से।
. ठण्डा, गर्म तथा दर्द की पहचान कौन कराता है?
थैलमस।
. भूंख, प्यास, क्रोध, खुशी एवं अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित होने वाले हार्मोन आदि को कौन नियन्त्रित करता है?
हाइपोथैलमस।
. बुध्दि, विवेक, संवेदनाओं एवं ऐच्छिक क्रियाओं ( दृष्टि, स्पर्श, गन्ध, स्वाद, श्रवण आदि) पर नियन्त्रण कौन रखता है?
प्रमस्तिष्क।
. दौडने, घूमने, टहलने, खडे होने, नृत्य करने, साइकिल चलाने आदि के दौरान शरीर का सन्तुलन बनाये रखता है?
अनुमस्तिष्क ।
. संवेदी अंगों से संवेदना (सन्देश) को मस्तिष्क के अभीष्ट अवयवों तक पहुंचाना तथा मस्तिष्क के आदेश को कार्यस्थल तक पहुंचाना किसका कार्य है?
मेरुरज्जु।