
काल (Time)
काल का अर्थ समय है। क्रिया का वह रूपान्तरण जिससे किसी कार्य, व्यापार का समय, उसकी पूर्णता, अपूर्णता, निरन्तरता या आवृत्ति का पता चलता है उसे काल कहते हैं।
काल के प्रकारः
काल तीन प्रकार के होते हैं- वर्तमान काल, भूतकाल तथा भविष्यकाल।
वर्तमान कालः
वर्तमान काल का अर्थ उपस्थित समय है। क्रिया का वह रूपान्तर जिससे वर्तमान में उसकी पूर्णता, अपूर्णता या निरन्तरता आदि का ज्ञान होता है, उसे वर्तमान काल कहते हैं।
वर्तमान काल के भेदः
वर्तमान काल के 05 भेद हैं- सामान्य वर्तमान काल, तात्कालिक वर्तामान काल, पूर्ण वर्तमान काल, संदिग्ध वर्तमान काल तथा संभाव्य वर्तमान काल।
सामान्य वर्तमान कालः
इस काल में क्रिया के सामान्य रूप से होने का बोध होता है। जैसे- मैं खेलता हूं। वह सोता है। सोहन खाता है। वह दिल्ली जाता है। वह स्कूल जाती है। वह किताब पढ़ती है।
तात्कालिक वर्तमान कालः
इस काल में वर्तमान में क्रिया की निरन्तरता का बोध होता है। जैसे- वह खेल रहा है। वे जा रहे हैं। मै क्रिकेट खेल रहा हूं।
पूर्ण वर्तमान कालः
इस काल में क्रिया की पूर्णता का बोध होता है। जैसे- मैं खेला हूं। वह गायी है। तुम पढ़े हो। उसने लिखा है।
संदिग्ध वर्तमान कालः
इसमें वर्तमान में कार्य की पूर्णता में सन्देह प्रकट होता है। जैसे- नीलम पढ़ती होगी। वह खाता होगा। सुमन सोती होगी।
संभाव्य वर्तमान कालः
इसमें वर्तमान में क्रिया के होने की संभाव्यता प्रकट होती है। जैसे- वह खाया हो। वह सोया हो। वह गया हो।
भूतकालः
इसका अर्थ है- बीता हुआ कल।
क्रिया का वह रूपान्तर जिससे बीते हुए समय में कार्य की पूर्णता, अपूर्णता, आवृत्ति या उसकी निरन्तरता का ज्ञान होता है, भूतकाल कहलाता है।
भूतकाल के भेदः
भूतकाल के 06 भेद हैः सामान्य भूतकाल, आसन्न भूतकाल, पूर्ण भूतकाल, अपूर्ण भूतकाल, संदिग्ध भूतकाल तथा हेतुहेतु मद्रभूत।
सामान्य भूतकालः
इस काल में बीते हुए समय में कार्य कार्य के पूर्ण होने का ज्ञान होता है। जैसे- सोहन ने खाया। मोहन ने पढ़ा। गाड़ी चली गया। श्याम सो गया। मैने फल खाया। वह सो गया।
आसन्न भूतकालः
इसमें निकट बीते हुए समय में कार्य के पूर्ण होने का ज्ञान होता है। जैसे- वह अभी-अभी आया है। मनोज अभी सोया है। रीना अभी खायी है। मैने अभी-अभी आम खाया।
पूर्ण भूतकालः
इस काल में कार्य बहुत समय पूर्व होने का बोध होता है। जैसे- सोनू शिमला में रहता था। वह चला गया था। मैं खाना खा चुका हूं।
अपूर्ण भूतकालः
इसमें बीते हुए समय में कार्य की अपूर्णता का बोध होता है। जैसे- मैं जा रहा था। वह खाना बना रही थी। तुम पढ़ रहे थे।
संदिग्ध भूतकालः
इसमें कार्य की संदिग्धता का बोध होता है। जैसे- आप ने कहा होगा। वह समय से पहुंचा होगा। तुम खाना खाये होगे। आप ने गाया होगा।
हेतुहेतु मद्रभूतः
इसमें यह पता चलता है कि क्रिया भूतकाल में होने वाली थी परन्तु किसी कारण नही हो सकी। जैसे- मैं पहुंचता। वह खेलता। तुम खाते।
भविष्यकालः
भविष्यकाल का अर्थ है- होने वाला।
इस काल में आने वाले समय में कार्य की पूर्णता, अपूर्णता, निरन्तरता या आवृत्ति का बोध होता है।
भविष्य काल के भेदः
भविष्य काल के तीन भेद हैं- सामान्य भविष्यकाल, संभाव्य भविष्यकाल तथा हेतुहेतु मद भविष्यकाल।
सामान्य भविष्यकालः
आने वाले समय में कार्य के सामान्य रूप से होने का बोध होता है। जैसे- वह कानपुर जायेगा। मोहन घर में रहेगा। वह रात को रामायण पढ़ेगा।
संभाव्य भविष्यकालः
इसमें भविष्य में कार्य होने की संभाव्यता होती है। जैसे- संभवतः आज बरसात हो। शायद कल कड़ी ठण्ड पड़े। संभव है सोहन प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो जाए। वह गया होगा।
हेतुहेतु मद भविष्यकालः
जहां पर एक क्रिया का दूसरी क्रिया पर होना निर्भर करे वहां हेतुहेतु भविष्यकाल होता है। जैसे- जो कमायेगा वह खायेगा। वह कुर्सी छोड़े तो श्याम बैठे।