
नागरिकता (CITIZENSHIP)
किसी विशेष सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय या मानव संसाधन समुदाय का नागरिक होने की अवस्था नागरिकता कहलाती है।
नागरिकता की अवस्था में अधिकार तथा उत्तरदायित्व दोनों ही सम्मिलित होते हैं।
भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 ई0 को अंगीकृत किया गया तथा 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ जिसके अनुसार भारत एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पन्थनिरपेक्ष तथा लोकतन्त्रात्मक गणराज्य है।
भारतीय संविधान के भाग-02 के अनुच्छेद- 05 के अनुसारः भारतीय संविधान के आरम्भ पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका भारत के राज्य क्षेत्र में अधिवास है और
- जिसका जन्म भारत की राज्य क्षेत्र में हुआ या
- उसके माता-पिता में से कोई भारत की राज्य में जन्मा था या
- जो भारतीय संविधान कि प्रारंभ उसे ठीक कम से कम 5 वर्ष पहले तक भारत की राज्य क्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है,
भारत का नागरिक होगा।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 6 के अनुसारः भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5 में वर्णित किसी बात के होते हुए कोई व्यक्ति जिसने ऐसे राज्यक्षेत्र से जो इस समय पाकिस्तान में है, भारत के राज्क्षेत्र को प्रवजन किया है, भारतीय संविधान के प्रारम्भ पर भारत का नागरिक माना जायेगा।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 7 के अनुसारः भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5 व 6 में वर्णित किसी बात के होते हुए कोई व्यक्ति जिसने 01 मार्च 1947 के बाद भारत के राज्यक्षेत्र से ऐसे राज्यक्षेत्र को जो इस सम्य पाकिस्तान में हैं, प्रवजन किया है, भारत का नागरिक नही समझा जायेगा।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 8 के अनुसारः भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5 में वर्णित किसी बात के होते हुए कोई व्यक्ति जो स्वयं या जिसके माता या पिता में से कोई अथवा पितामह, पितामही, मातामब या मातामही में से कोई भारत शासन अधिनियम 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था तथा जो इस प्रकार परिभाषित भारत के बाहर किसी देश में मामूली तौर से निवास कर रहा है, भारत का नागरिक समझा जायेगा, यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा या भारत सरकार द्वारा विहित प्रारूप में और रीति से अपने द्वारा उस देश में जहां वह तत्समय निवास कर रहा है, भारत के राजनयिक या कौंसिलीय प्रतिनिध को इस संविधान के प्रारम्भ होने से पहले या उसके बाद आवेदन किए जाने पर ऐसे राजनयिक या कौंसिलीय प्रतिनिध द्वारा भारत का नागरिक रजिस्टर्ड कर लिया गया है।
नागरिकता अधिनियम 1955
यह अधिनियम भारतीय नागरिकता की प्राप्ति, निर्धारण तथा रद्द करने से सम्बन्धित है जो भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान करता है अर्थात् भारत का नागरिक किसी अन्य देश का नागरिक नहीं हो सकता। इस अधिनियम में वर्ष 1986 ई0, 1992 ई0, 2003 ई0, 2005 ई0 तथा 2015 ई0 में संशोधन किया गया जिसके बाद भारत के 03 पड़ोसी देशों (बांग्लादेश, अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान) के 06 अल्पसंख्यक गैर मुस्लिम समुदायों हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन तथा पारसी धर्म के वे व्यक्ति जो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर पलायन करके 31 दिसम्बर 2014 ई0 को या उससे पूर्व से भारत में आकर निवास कर रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
राष्ट्रीयता तथा नागरिकता में अन्तर (Difference in Nationality and Citizenship)
- राष्ट्रीयता को बदला नहीं जा सकता जबकि नागरिकता को बदला जा सकता है अर्थात् दूसरे देश की राष्ट्रीयता नही ली जा सकती परन्तु दूसरे देश की नागरिकता ली जा सकती है। यदि कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है।
- कतिपय औपचारिकताओं/कानूनों का उल्लंघन करने पर किसी व्यक्ति की नागरिकता छीनी जा सकती है परन्तु राष्ट्रीयता छीनी नही जा सकती।
- किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता जीवन भर उस देश से जुडी रहती है जबकि नागरिकता कभी भी दूसरे देश की हो सकती है।
- राष्ट्रीयता किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत सदस्यता है जो कि उसे उस देश में जन्म लेने के साथ स्वत: ही मिल जाती है जबकि नागरिकता कानूनी स्थिति है जो कि उस देश द्वारा निर्धारित कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद मिलती है।
- राष्ट्रीयता से उस देश या राज्य या स्थान का बोध होता है जहां पर उस व्यक्ति का जन्म हुआ परन्तु किसी व्यक्ति को नागरिकता उस देश की सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
- राष्ट्रीयता के आधार पर किसी व्यक्ति की जन्म भूमि का पता लगाया जा सकता है परन्तु नागरिकता के आधार पर जन्म भूमि का पता नही लगाया जा सकता।
- राष्ट्रीयता केवल जन्म तथा वंश के आधार पर ही प्राप्त की जा सकती है जबकि नागरिकता जन्म तथा वंश के आधार के अलावा पंजीकरण के आधार पर, प्राकृतिक रूप से तथा किसी क्षेत्र विशेष के अधिकरण के आधार पर भी प्राप्त की जा सकती है।
- वर्तमान समय में प्राय: जिस व्यक्ति के पास जिस देश की नागरिकता होती है उसके पास उस देश की राष्ट्रीयता भी होती है परन्तु यह आवश्यक नही है कि जिसके पास किसी देश की राष्ट्रीयता हो उसके पास उस देश की नागरिकता भी हो।
- राष्ट्रीयता की प्रकृति देशज है जबकि नागरिकता की प्रकृति कानूनी है।