भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार (Fundamental Right Of Indian Citizen)

मौलिक अधिकार क्या हैं ?
मौलिक अधिकार किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए परम आवश्यक है इन अधिकारों की बिना व्यक्ति अपना पूर्ण विकास नहीं कर सकता। मौलिक अधिकार संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के संविधान से लिये गये हैं। मौलिक अधिकार की परिभाषा भारतीय संविधान के भाग-03 अनुच्छेद- 12 में दी गई है जिसके अनुसार– “वे अधिकार जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा समस्त नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं और जिनमें राज्य द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता मौलिक अधिकार कहलाते हैं”।
भारतीय संविधान द्वारा भारतीय नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारः
भारतीय संविधान द्वारा प्रारम्भ में भारतीय नागरिकों को कुल 07 मौलिक अधिकार दिये गये थे। वर्ष 1978 में हुए 44 वें संविधान संशोधन द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी से हटा कर कानूनी अधिकार बना दिया गया। वर्तमान में भारतीय नागरिकों को छ: मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। जो निम्नवत हैं–
- समानता का अधिकार।
2. स्वतन्त्रता का अधिकार।
3. शोंषण के विरुध्द रक्षा का अधिकार।
4. धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार।
5. संस्कृति तथा शिक्षा का अधिकार।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार।1.
1.समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 तक)
अनुच्छेद 14- विधि के समक्ष समानता, अनुच्छेद 15- धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा, अनुच्छेद 16– लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता, अनुच्छेद 17- अस्पृश्यता का अन्त, अनुच्छेद 18- ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई उपाधियों का अन्त कर दिया गया है परन्तु रक्षा एवं शिक्षा में उपाधि देने की परम्परा कायम है।
2.स्वतन्त्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19 से 22 तक )
अनुच्छेद 19- वाणी की स्वतन्त्रता, यूनियन बनाने, कहीं आने-जाने, जमाव करने, निवास करने, कोई भी जीविकोपार्जन या व्यवसाय करने की स्वतन्त्रता का अधिकार , अनुच्छेद 20– अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संरक्षण, अनुच्छेद 21- प्राण एवं दैहिक स्वतन्त्रता का संरक्षण, अनुच्छेद 21 ए – शिक्षा का अधिकार ,अनुच्छेद 22- कुछ दशा में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण।
3.शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 व 24)
अनुच्छेद 23- मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिषेध , अनुच्छेद 24- कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध।
4.धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28 तक )
अनुच्छेद 25– अंतःकरण की तथा धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार की स्वतन्त्रता का अधिकार, अनुच्छेद 26- धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध की स्वतन्त्रता, अनुच्छेद 27- किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतन्त्रता, अनुच्छेद 28- कुछ शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतन्त्रता।
5.संस्कृति तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार ( अनुच्छेद 29 व 30)
अनुच्छेद 29- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण, अनुच्छेद 30- शिक्षण संस्थाओं की स्थापना तथा प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार।
6.संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32)
डॉ0 भीमराव अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों को संविधान का हृदय तथा आत्मा कहा है । संवैधानिक उपचार के अधिकार के अन्तर्गत निम्नांकित प्रावधान किए गए हैः
a. बन्दी प्रत्यक्षीकरणः इसके द्वारा किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाने का आदेश जारी किया जाता है यदि गिरफ्तारी करने का तरीका या कारण गलत है या सन्तोषजनक नहीं है तो न्यायालय उक्त गिरफ्तार व्यक्ति को छोड़ने का आदेश जारी कर सकता है।
b. परमादेशः यह आदेश उन परिस्थितियों में न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी अपने कानूनी तथा संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।
c. निषेधाज्ञाः जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र को अतिक्रमण कर किसी मुकदमे की सुनवाई करती है तो ऊपर की अदालत ने उसे ऐसा करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी करती है।
d. अधिकार पृच्छाः जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है जिस पर उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है तब न्यायालय अधिकार पृच्छा आदेश जारी कर उस व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोक देता है।
e. उत्प्रेषण रिटः जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी बिना अधिकार के कोई कार्य करता है तो न्यायालय उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उसे से लेकर उत्प्रेषण द्वारा उसे ऊपर की अदालत या सक्षम अधिकारी को हस्तान्तरित कर देता है।
किस मौलिक अधिकार को कानूनी अधिकार बना दिया गया है ?
44 वें संविधान संशोधन(1978 ई0) द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी से हटा कर कानूनी अधिकार बना दिया गया जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद– 300(ए) में रखा गया है।
क्या मौलिक अधिकारों को भारतीय संसद द्वारा संशोधित किया जा सकता है ?
केशवानन्द भारती बनाम केरल सरकार में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष-1973 में दिये गये अपने निर्णय के अनुसारः
संसद के प्रत्येक सदन के दो तिहाई बहुमत से मौलिक अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है परन्तु ऐसे संशोधन से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नही होना चाहिए।
मौलिक अधिकारों का क्या उद्देश्य है ?
मौलिक अधिकारों का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतन्त्रता तथा समाज के सभा सदस्यों की समानता पर आधारित लोकतान्त्रिक सिध्दान्तों की रक्षा करना है।
क्या आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार निलम्बित किये जा सकते हैं ?
भारत में आपातकाल लागू होने पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद– 20 व 21 में वर्णित मौलिक अधिकारों के अलावा अन्य सभी मौलिक अधिकारों को भारतीय राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अस्थाई रूप से निलम्बित किया जा सकता है।